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Polycystic ovary syndrome (PCOS)

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Polycystic ovary syndrome (PCOS)


PCOS एक हारमोन्स संबंधी समस्या है जो आजकल लगभग हर तीन में से एक लड़की या महिला में देखने में मिलती है। PCOS यानि पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन सिंड्रोम के अंतर्गत कोई एक लक्षण नहीं होता बल्कि यह कई लक्षणों का समूह है। इनमें से कोई एक दो या सभी लक्षणों का पाया जाना PCO को इंगित करता है। इन में मुख्यतः मासिक धर्म की अनियमितता सबसे अधिक देखने में मिलती है। यदि किसी महिला की माहवारी अनियमित हो तो उसे अपनी जांच करानी चाहिए। इसके अतिरिक्त मोटापा, चेहरे पर अवांछित बालों का आना, मुंहासे, सिर के बालों का गिरना तथा गर्दन व चेहरे पर मैल जैसी दिखने वाली कालिमा की मोटी परत (Acanthosis Nigricans) शामिल है।

PCOS में हारमोन्स का असंतुलन प्रमुख कारक है। इस समस्या में महिलाओं में Male Harmones का स्तर नार्मल से बढ़ जाता है जैसे कि Testosterone और Androgen इसके अलावा Insulin, LH तथा Cortisol का स्तर भी बढ़ जाता है। PCO को बढ़ावा देने वाले पांच सहायक कारक होते हैं-

  1. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
  2. शरीर में टॉक्सिन का बढ़ जाना
  3. खान पान की बुरी आदतें
  4. Insulin Resistance व मोटापा
  5. अनुवांशिक कारण

भोजन में परिवर्तन और खाने-पीने की आदतों में सुधार करके इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। परन्तु यह परिर्वतन केवल कुछ समय के लिए न होकर हमेशा के लिए होने चाहिए। खान-पान परिवर्तन के पीछे मुख्य उद्देश्य PCO Patient के शरीर की Physiology को परिवर्तित करना है। PCO महिलाओं में Intestinal Gut Flora (आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया) सामान्य औरतों की Gut flora से भिन्न होती है। Gut flora को बदलकर हम PCO के लक्षणों से निजात पा सकते हैं। इस बदलाव में प्री और प्रोबायोटिक्स का प्रयोग, दूध की बजाय दही का प्रयोग, फाईबर रिच डाईट, सोया प्रॉडक्टस का अधिक प्रयोग व अलसी बीज का प्रयोग शामिल है।
PCO पेशेन्ट्स में Insulin Resistance बढ़ जाता है। हम जो भी carbohydrates खाते हैं, उससे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शरीर को Insulin hormone की जरूरत पड़ती है। Carbohydrates > Glucose >>> INSULIN >>> Energy
Carbohydrates शरीर में कितनी देर में पचकर कितनी ऊर्जा देते हैं इसे मापने के लिए एक पैमाना बनाया गया है। जिसे Glycemic Index (G1 Scale) कहते हैं इस स्केल पर ग्लूकोज का स्कोर 100 है। यानि कोई भी मीठी खाद्य वस्तु शरीर में पहुंचकर तुरंत ही पचकर ऊर्जा देती है, इस प्रक्रिया के दौरान Pancreas से इन्सुलिन निकलता है। जिसे इंसुलिन स्पाईक कहा जाता है बार-बार इंसुलिन स्पाईक का आना शरीर के लिए हानिकारक होता है। ये स्पाईक्स फैट को कम नहीं होने देती तथा साथ ही Insulin resistance पैदा करती है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

  1. नाश्ता कभी भी Skip न करें।
  2. मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
  3. Simple Carbs की जगह Complex Carbs का प्रयोग करें जैसे ओट्स, मिश्रित अनाज, शक्करकंदी, जौ और ब्राउन राइस। आटे व मैदे का कम प्रयोग करें । जंक फूड्स व पैकेज्ड फूड को ‘न‘ कहें।
  4. खाने में रोटी व चावल की बजाय दही व सब्जियों का अधिक प्रयोग करें। उसमें भी यदि आधे से अधिक सब्जियां कच्ची खाई जाएं तो ज्यादा लाभप्रद होंगी।
  5. प्रोटीन तथा फाईबर रिच भोजन पर जोर दें। अंडा, बीन्स, मटर, दालें, प्रोटीन शेक्स व पनीर प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थ हैं। सलाद की मात्रा बढ़ाएं। मीठे फल जैसे आम, चीकू, केला, अंगूर व फलों को रस इनसे दूरी रखें।
  6. वसा का प्रयोग करना हो तो देसी घी रिफाईण्ड ऑयल से बेहतर होता है। फिर भी ऑयल प्रयोग करना ही हो तो ऑलिव ऑयल, नारियल तेल, मूंगफली व सरसों का तेल प्रयोग करें।
  7. दूध में Male harmone बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। इसका प्रयोग न करके दही का प्रयोग करें।

PCO के लक्षणों को बढ़ाने में तनाव भी एक सहायक कारण हैं। तनावग्रस्त होने पर Cortisol नाम का हारमोन निकलता है जो कि शरीर की उचित कार्यप्रणाली में बाधा डालता है, और असंतुलन पैदा करके PCO के दुष्प्रभाव को बढ़ाता है इसलिए जहां तक हो सके तनावमुक्त जीवन जीयें। योगा और मेडिटेशन को दिनचर्या का अनिवार्य अंग बनाएं।
Xerohormone : प्लास्टिक्स, पेस्टीसाईडस, कॉस्मेटिक्स व सॉफ्ट ड्रिंक्स में पाया जाने वाला यह तत्व शरीर में खराब हारमोन की तरह कार्य करता हैं। इनका प्रयोग कम से कम करें।
PCO को बेहतर करने के लिए कुछ प्रभावी खाद्य पदार्थः अखरोट, अलसी, सब्जियां, अदरक, हलदी, आमेगा-3 फैटी एसिड्स, तुलसी, अश्वगंधा, दालचीनी, ग्रीन-टी, विटामिन डी युक्त पदार्थ जैसे अंडा, पनीर, मशरूम व सूर्य की रोशनी। तात्पर्य यह है कि खान पान व रहन सहन के तौर तरीकों में परिवर्तन करके हम PCO के जिद्दी लक्षणों से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं।

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